माह: जून 2020

खुद को कम आंकना

वह युवा अपनी टीम का कप्तान बन गया l पेशेवर स्पोर्ट्स दल का नेतृत्व अब मृदुल-शिष्ट युवा कर रहा था, जिसे शायद ही दाढ़ी बनाने की ज़रूरत थी l उसकी पहली प्रेस कांफ्रेंस प्रभावशाली नहीं थी l वह अपने कोच और अपने साथियों की ओर झुका रहा, और वह अपनी जिम्मेदारी पूरी कर रहा है के विषय घिसा पिटा उत्तर बुदबुदाता रहा l टीम ने उस मौसम में खराब प्रदर्शन किया, और इसके अंत तक युवा कप्तान बदल दिया गया l वह यह नहीं समझ पाया कि नेतृत्व करने का अधिकार उसे सौंपा गया है, या शायद उसे कभी विश्वास नहीं हुआ कि वह ऐसा कर सकता है l

अपनी विफलताओं के कारण, शाऊल “अपनी [ही] दृष्टि में छोटा था” (1 शमूएल 15:17) – जो एक आदमी के बारे में कहने के लिए एक मजेदार बात है जिसे लम्बा बताया गया है l वह वास्तव में उल्लेखनीय रूप से बाकी लोगों से बेहतर था (9:2) l फिर भी वह उस तरीके से अपने को नहीं देखता था l वास्तव में, उस अध्याय में उसके कार्यों ने उसे लोगों की स्वीकृति जीतने की कोशिश करते हुए दिखाया है l वह पूरी तरह से समझ नहीं पाया था कि परमेश्वर ने – लोगों ने नहीं -  उसे चुना था और उसे एक मिशन(उद्देश्य) दिया था l

लेकिन शाऊल की गलती हर इंसान की विफलता की एक तस्वीर है : हम भूल सकते हैं कि उसके राज्य को प्रतिबिंबित करने के लिए हम परमेश्वर के स्वरुप में बनाए गए हैं, और ऐसा न हो कि हम अपने अधिकार का दुरुपयोग करते हुए अंत करें अर्थात् संसार में विनाश l इसे पूर्ववत करने के लिए, हमें परमेश्वर की ओर लौटने की आवशयकता है : पिता को हमें अपने प्रेम से परिभाषित करने दें, उसे हमें अपनी आत्मा से भरने दें, और यीशु को हमें दुनिया में भेजने दें l  

अनंत आँखें

अनंत आँखें, यही प्रार्थना मेरी सहेली मारिया अपने बच्चों और नाती-पोतों के लिए करती हैं कि उनके पास हों l उसका परिवार अशांत काल से होकर निकला है जो उसकी बेटी की मृत्यु के साथ ख़त्म हुआ l जब उसका परिवार इस भयावह नुक्सान से अत्यंत दुखित है, मारिया चाहती है कि वे बहुत कम अदूरदर्शी हों – इस संसार की पीड़ा से बर्बाद न हो जाएँ l और अधिकाधिक दूरदर्शी हों - हमारे प्रेमी परमेश्वर में आशा से भरे हुए l

प्रेरित पौलुस और उसके सहकर्मियों ने उत्पीड़ित करने वालों के हाथों और यहाँ तक कि विश्वासियों से भी बहुत पीड़ा का अनुभव किया जिन्होंने उन्हें बदनाम करने की कोशिश की l फिर भी, उन्होंने अपनी आँखें अनंत काल पर स्थिर रखीं थीं l पौलुस ने साहसपूर्वक स्वीकार किया कि “हम तो देखी हुई वस्तुओं को नहीं परन्तु अनदेखी वस्तुओं को देखते रहते हैं, क्योंकि देखी हुई वस्तुएं थोड़े ही दिन की हैं, परन्तु अनदेखी वस्तुएं सदा बनी रहती हैं” (2 कुरिन्थियों 4:18) l

यद्यपि वे परमेश्वर का कार्य कर रहे थे, लेकिन वे “चारों ओर से क्लेश . . . [भोगने],” “निरुपाय [होने],” “सताए . . . [जाने],” और “गिराए . . . [जाने]” (पद.8-9) की वास्तविकता के साथ रहते थे l क्या परमेश्वर को उन्हें इन परेशानियों से बचाना नहीं चाहिये था? (पद.17) l वह जानता था कि परमेश्वर की सामर्थ्य उसमें काम कर रही थी और उसे पूर्ण निश्चय था कि “जिसने प्रभु यीशु मसीह को जिलाया, वही हमें भी यीशु में भागिदार जानकार जिलाएगा” (पद.14) l

जब हमारे चारों ओर का संसार अस्थिर महसूस हो, हम अपनी दृष्टि परमेश्वर की ओर करें – वह अनंत चट्टान जो कभी भी नष्ट नहीं होगा l

2D सीट पर का व्यक्ति(The Man in Seat 2D)

प्रीति ने अपनी ग्यारह महीने की बेटी लिली और लिली की ऑक्सीजन मशीन के साथ हवाई जहाज के संकीर्ण गलियारे से गयी l वह अपने बच्चे के फेफड़ों की पुरानी बीमारी के इलाज के लिए यात्रा कर रही थी l अपनी साझा सीट पर बैठने के कुछ समय बाद, एक फ्लाइट परिचर ने यह कहते हुए प्रीति से संपर्क किया, कि प्रथम श्रेणी में एक यात्री उसके साथ सीट बदलना चाहता था l चेहरे पर कृतज्ञता के आँसू के साथ, प्रीति ने अधिक बड़ी सीट पर बैठने चली गयी, जबकि वह अजनबी शुभचिंतक उसकी सीट पर आ गया l

प्रीति के शुभचिंतक में उस प्रकार की उदारता सन्निहित थी जो पौलुस तिमोथी को लिखे अपने पत्र में प्रोत्साहित करता है l पौलुस ने तीमुथियुस से कहा कि जो उसकी देखभाल में हैं उनको आज्ञा दें कि वे “भलाई करें, और भले कामों में धनी बनें, और उदार और सहायता देने में तत्पर हों” (1 तीमुथियुस 6:18) l पौलुस कहता है, अहंकारी बनना और इस संसार के धन में अपनी आशा रखना लुभावना है l इसके बदले, वह सलाह देता है कि हम उदारता का जीवन और दूसरों की सेवा करने वाला जीवन पर केन्द्रित होकर, केसली फ्लाइट में 2D सीट पर के उस व्यक्ति की तरह भले कामों में “धनी” बने l

चाहे हमारे पास बहुत है या हम अभाव में हैं, हम सभी दूसरों के साथ जो कुछ भी है उसे साझा करने के लिए तैयार होकर उदारता से जीने की प्रचुरता का अनुभव कर सकते हैं l जब हम ऐसा करते हैं, पौलुस कहता है कि हम “सच्चे जीवन को वश में कर [लेंगे]” (पद.19) l

क्या परमेश्वर है?

लीला कैंसर से मर रही थी, और उसका पति, तिमोथी, यह नहीं समझ पा रहा था कि एक प्रेमी परमेश्वर अपनी पत्नी को पीड़ित क्यों होने देगा l उसने ईमानदारी से एक बाइबल शिक्षक और सलाहकार के रूप में कई लोगों की सेवा उसकी की थी l “आपने ऐसा क्यों होने दिया?” उसने पुकारा l इसके बावजूद तिमोथी परमेश्वर के साथ चलने में विश्वासयोग्य रहा l

“तो अभी भी तुम परमेश्वर में विश्वास क्यों करते हो?” मैंने उससे खुलकर पूछा l “कौन सी बात तुम्हें उससे दूर नहीं जाने देता है?”

“पहले जो हुआ है, उसके कारण,” तिमोथी ने जवाब दिया l जबकि वह अब परमेश्वर को “देख” नहीं सकता था, उसने उन समयों को याद किया जब परमेश्वर ने उसकी मदद की थी और उसकी रक्षा की थी l ये संकेत थे कि परमेश्वर अभी भी उसके परिवार की देखभाल कर रहा था l “मैं उस परमेश्वर को जानता हूँ जिसमें मैं विश्वास करता हूँ जो अपने तरीके से मदद करेगा,” उसने कहा l

तिमोथी के शब्द यशायाह 8:17 में लिखी यशायाह की अभिव्यक्ति को प्रतिध्वनित करती है l यहाँ तक कि जब वह परमेश्वर की उपस्थिति महसूस नहीं कर सकता था क्योंकि उसके लोग अपने शत्रुओं की ओर से मुसीबत के लिए तैयारी कर रहे थे, वह “यहोवा की बाट [जोहेगा] l” उसने परमेश्वर में उन संकेतों के कारण भरोसा किया जो उसने अपनी निरंतर उपस्थिति के विषय दिया था (पद.18) l

ऐसे समय होते हैं जब हम महसूस कर सकते हैं कि हमारी परेशानियों में परमेश्वर हमारे साथ नहीं है l ऐसे समय में ही हम अपने जीवन में उसके कार्यों को अतीत और वर्तमान में देख सकते हैं l वे ही अदृश्य परमेश्वर के दृश्य अनुस्मारक हैं – एक परमेश्वर जो हमेशा हमारे साथ है और अपने समय और तरीके से उत्तर देगा l